अत्तहियात दुआ: नमाज़ का अहम हिस्सा

Beautiful lantern with glowing light in a dark setting.

नमाज़ हर मुसलमान के लिए अल्लाह की इबादत का सबसे खास तरीका है। इसमें हर रकअत के साथ खास दुआएँ पढ़ी जाती हैं, और अत्तहियात दुआ उनमें से एक है। यह दुआ नमाज़ की हर दूसरी और आखिरी रकअत में पढ़ी जाती है, जिसे तशह्हुद भी कहते हैं। भारत में लोग इसे हिंदी में सीखना चाहते हैं, ताकि इसका मतलब समझ सकें और नमाज़ को दिल से अदा कर सकें। हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इसे सहाबियों को सिखाया। यहाँ हम आपको सही अत्तहियात दुआ बताएँगे, जो हदीस से साबित है। इसे हिंदी में पढ़कर आप भी अपनी नमाज़ को और बेहतर बना सकते हैं।


📜 अत्तहियात दुआ (सही और आसान)

अत्तहियात दुआ नमाज़ का ज़रूरी हिस्सा है। इसे हर नमाज़ में पढ़ा जाता है। यहाँ वह दुआ है, जो हदीस से सही है।

📜 अरबी में दुआ:
التَّحِيَّاتُ لِلَّهِ وَالصَّلَوَاتُ وَالطَّيِّبَاتُ، السَّلَامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّبِيُّ وَرَحْمَةُ اللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ، السَّلَامُ عَلَيْنَا وَعَلَى عِبَادِ اللَّهِ الصَّالِحِينَ، أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ

📜 हिंदी में लिखावट:
अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तय्यिबातु, अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु, अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस सालिहीन, अशहदु अन ला इलाहा इल्लल्लाहु व अशहदु अन्न मुहम्मदान अब्दुहु व रसूलुहु

📜 हिंदी में मतलब:
सारी तारीफ़ें, नमाज़ें और पाक चीज़ें अल्लाह के लिए हैं। ऐ नबी! आप पर सलाम हो, अल्लाह की रहमत और बरकतें हों। हम पर और अल्लाह के नेक बन्दों पर सलाम हो। मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद (स.अ.व.) उसके बन्दे और रसूल हैं।

📜 English Transliteration:
Attahiyyatu lillahi wassalawatu wattayyibatu, assalamu ‘alaika ayyuhan nabiyyu wa rahmatullahi wa barakatuhu, assalamu ‘alaina wa ‘ala ‘ibadillahis salihin, ashhadu an la ilaha illallahu wa ashhadu anna Muhammadan ‘abduhu wa rasuluhu

📜 English Translation:
“All greetings, prayers, and good things are for Allah. Peace be upon you, O Prophet, and the mercy and blessings of Allah. Peace be upon us and upon the righteous servants of Allah. I bear witness that there is no god but Allah, and I bear witness that Muhammad is His servant and Messenger.”

माखज़ (Source):

  • यह दुआ सही बुखारी (हदीस 1202) और सही मुस्लिम (हदीस 402) में हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ.) से रिवायत है। नबी (स.अ.व.) ने सहाबियों को इसे नमाज़ में पढ़ने की तालीम दी।
  • यह सही (Sahih) है और हनफी मज़हब में सबसे मकबूल है।

अत्तहियात दुआ की अहमियत

अत्तहियात दुआ नमाज़ का दिल है। यह अल्लाह की तारीफ़, नबी (स.अ.व.) पर सलाम, और ईमान की गवाही का ज़िक्र करती है। सही बुखारी (हदीस 831) में नबी (स.अ.व.) ने फरमाया: “जब तुम नमाज़ में बैठो, तो अत्तहियात पढ़ो।” यह दुआ मेराज की याद दिलाती है, जब नबी (स.अ.व.) ने अल्लाह से मुलाकात की और यह सलाम पेश किया। सूरह अल-फातिहा (1:2) में “अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन” से शुरू होती है, और अत्तहियात उसी तारीफ़ को दोहराती है। यह हमें अल्लाह की बड़ाई और नबी (स.अ.व.) की शान याद दिलाती है। भारत में लोग इसे नमाज़ की हर दूसरी और आखिरी रकअत में पढ़ते हैं, ताकि इबादत पूरी हो।


अत्तहियात दुआ कब और कैसे पढ़ें?

अत्तहियात दुआ को नमाज़ में सही तरीके से पढ़ना ज़रूरी है। यहाँ आसान तरीका है:

  1. कैदे में: हर दो रकअत (या आखिरी रकअत) में रुकू और सजदे के बाद बैठें।
  2. शहादत की उंगली: दाहिने हाथ की शहादत की उंगली उठाएँ और “अशहदु अन ला इलाहा…” पढ़ते वक़्त इसे हिलाएँ।
  3. दुआ पढ़ें: “अत्तहिय्यातु लिल्लाहि…” को शांति और ध्यान से पढ़ें।
  4. आगे बढ़ें: इसके बाद दुरूद-ए-इब्राहीम और दूसरी दुआ पढ़कर सलाम फेरें।

कब पढ़ें:

  • हर नमाज़ की दूसरी और आखिरी रकअत में। मिसाल के तौर पर, फज्र की दो रकअत में एक बार, और ज़ुहर की चार रकअत में दो बार।
  • हनफी मज़हब में इसे हर नमाज़ में पढ़ना ज़रूरी माना जाता है।

अत्तहियात दुआ के फायदे

  • इबादत पूरी: यह नमाज़ को मुकम्मल करती है।
  • सुकून: अल्लाह और नबी (स.अ.व.) का ज़िक्र दिल को राहत देता है।
  • सवाब: सुन्नत पर चलने से सवाब मिलता है।
  • ईमान की गवाही: यह हमारे ईमान को मज़बूत करती है।

सूरह अल-अहज़ाब (33:56) में अल्लाह फरमाता है: “नबी पर दुरूद भेजो।” अत्तहियात उस हुक्म की शुरुआत है।


📌 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

1. क्या अत्तहियात दुआ नमाज़ के बिना पढ़ी जा सकती है?
यह खास नमाज़ के लिए है, मगर ज़िक्र के तौर पर पढ़ना जायज़ है।

2. अगर दुआ भूल जाएँ तो क्या करें?
नमाज़ में भूल जाएँ तो सजदा-ए-सहव करें।

3. क्या औरतें और बच्चे इसे पढ़ सकते हैं?
हाँ, यह हर मुसलमान के लिए है।

4. क्या इसे हिंदी में पढ़ना सही है?
नमाज़ में अरबी में पढ़ें, मगर सीखने के लिए हिंदी में समझ सकते हैं।


आखिरी बात

अत्तहियात दुआ नमाज़ का ज़रूरी और खूबसूरत हिस्सा है। “अत्तहिय्यातु लिल्लाहि…” को हर नमाज़ में दिल से पढ़ें। भारत में लोग इसे हिंदी में सीखकर नमाज़ को बेहतर समझते हैं। इसे सही तरीके से पढ़ें और अपनी इबादत को पूरा करें। और दुआओं के लिए Dua India पर जाएँ। अल्लाह हमारी नमाज़ कुबूल करे, आमीन!