अज़ान के बाद की दुआ: नमाज़ की पुकार का सही जवाब

Sunrise over a mosque with flying birds.

अज़ान नमाज़ की पुकार है, जो हर मुसलमान को अल्लाह की इबादत की तरफ बुलाती है। यह दिन में पाँच बार सुनाई देती है और दिल में सुकून भरती है। भारत में लोग “अज़ान के बाद की दुआ” (Azan Ke Baad Ki Dua) को पढ़ना पसंद करते हैं, ताकि इस पुकार का जवाब दे सकें और अल्लाह से बरकत माँग सकें। हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अज़ान के बाद खास दुआ सिखाई। यहाँ हम आपको सही दुआ बताएँगे, जो हदीस से साबित है। इसके साथ ही, कुछ लोग एक लंबी दुआ पढ़ते हैं, जिसे हम भी समझाएँगे। इसे पढ़कर आप सवाब और नबी (स.अ.व.) की शफाअत पा सकते हैं।


📜 अज़ान के बाद की दुआ (सही और आसान)

अज़ान के बाद दुआ पढ़ना सुन्नत है। यहाँ दो दुआएँ हैं—एक जो हदीस से सही है और दूसरी जो कुछ जगहों पर लंबी मिलती है।

1. हदीस से सही दुआ

📜 अरबी में दुआ:
اللَّهُمَّ رَبَّ هَذِهِ الدَّعْوَةِ التَّامَّةِ وَالصَّلَاةِ الْقَائِمَةِ آتِ مُحَمَّدًا الْوَسِيلَةَ وَالْفَضِيلَةَ وَابْعَثْهُ مَقَامًا مَحْمُودًا الَّذِي وَعَدْتَهُ

📜 हिंदी में लिखावट:
अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़िहिद दअवतित ताम्मति वस्सलातिल क़ाइमति आति मुहम्मदानिल वसीलता वल फज़ीलता वबअसहु मक़ामम महमूदनिल्लज़ी वअदतहु

📜 हिंदी में मतलब:
“ऐ अल्लाह! इस पूरी पुकार और कायम होने वाली नमाज़ के रब! मुहम्मद (स.अ.व.) को वसीला (जन्नत में खास जगह) और फज़ीलत (बुलंदी) अता कर, और उन्हें उस महमूद (तारीफ़ वाले) मकाम पर पहुँचा, जिसका तूने वादा किया।”

📜 English Transliteration:
Allahumma rabba hadhihid da‘watit tammati wassalatil qa’imati, ati Muhammadanil wasilata wal fadilata wab‘athhu maqaman mahmudanilladhi wa‘adtahu

📜 English Translation:
“O Allah! Lord of this perfect call and the prayer to be established, grant Muhammad the Wasila (highest rank in Paradise) and excellence, and raise him to the praiseworthy station that You have promised him.”

माखज़ (Source):

  • यह दुआ सही बुखारी (हदीस 614) और सही मुस्लिम (हदीस 384) में हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ.) से रिवायत है। नबी (स.अ.व.) ने इसे अज़ान के बाद पढ़ने की सलाह दी।
  • यह सही (Sahih) है और उलमा इसे सबसे मकबूल मानते हैं।

2. लंबी दुआ (कुछ जगहों पर मिलने वाली)

📜 अरबी में दुआ:
اللَّهُمَّ رَبَّ هَذِهِ الدَّعْوَةِ التَّامَّةِ وَالصَّلَاةِ الْقَائِمَةِ آتِ سَيِّدِنَا مُحَمَّدًا الْوَسِيلَةَ وَالْفَضِيلَةَ وَالدَّرَجَةَ الرَّفِيعَةَ وَابْعَثْهُ مَقَامًا مُحَمَّدًا الَّذِي وَعَدْتَهُ وَرَزَقْنَا شَفَاعَتَهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ إِنَّكَ تُخْلِفُ الْمِيعَادَ

📜 हिंदी में लिखावट:
अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़िहिद दअवतित ताम्मति वस्सलातिल क़ाइमति आति सय्यिदिना मुहम्मदानिल वसीलता वल फज़ीलता वद्दरजतर रफीअता वबअसहु मक़ामम मुहम्मदानिल्लज़ी वअदतहु वरज़क़ना शफाअतहु यौमल क़ियामति इन्नका तुखलिफुल मियाद

📜 हिंदी में मतलब:
“ऐ अल्लाह! इस पूरी पुकार और कायम होने वाली नमाज़ के रब! हमारे सय्यिद मुहम्मद (स.अ.व.) को वसीला, फज़ीलत, और बुलंद दर्जा अता कर, और उन्हें उस मुहम्मद (तारीफ़ वाले) मकाम पर पहुँचा जो तूने वादा किया, और हमें क़यामत के दिन उनकी शफाअत नसीब कर। बेशक तू अपने वादे से नहीं मुकरता।”

📜 English Transliteration:
Allahumma rabba hadhihid da‘watit tammati wassalatil qa’imati, ati sayyidina Muhammadanil wasilata wal fadilata waddarjatar rafi‘ata wab‘athhu maqaman Muhammadanilladhi wa‘adtahu warzuqna shafa‘atahu yawmal qiyamati innaka tukhliful mi‘ad

📜 English Translation:
“O Allah! Lord of this perfect call and the prayer to be established, grant our master Muhammad the Wasila, excellence, and the exalted rank, and raise him to the station of Muhammad that You promised him, and provide us with his intercession on the Day of Judgment. Indeed, You do not break Your promise.”

माखज़ (Source):

  • यह लंबी दुआ सही बुखारी या मुस्लिम में नहीं मिलती। यह कुछ किताबों में कमज़ोर रिवायतों से ली गई हो सकती है या लोगों ने इसमें अपनी तरफ से इज़ाफ़ा किया हो।
  • “वद्दरजतर रफीअता” और “वरज़क़ना शफाअतहु…” जैसे हिस्से मूल हदीस में नहीं हैं। फिर भी, इसका मकसद वही है—नबी (स.अ.व.) के लिए दुआ करना।

कौन सी सही?
पहली दुआ (सही बुखारी से) सबसे मकबूल और सही है। लंबी दुआ में कुछ हिस्से जायज़ हैं, मगर यह पूरी तरह हदीस से साबित नहीं। छोटी दुआ को प्राथमिकता दें।


अज़ान के बाद की दुआ की अहमियत

अज़ान अल्लाह की इबादत का बुलावा है। यह शैतान को दूर करती है। सही बुखारी (हदीस 608) में नबी (स.अ.व.) ने फरमाया: “अज़ान सुनते ही शैतान भाग जाता है।” “अज़ान के बाद की दुआ” नबी (स.अ.व.) के लिए दुआ करने का मौका देती है। सही बुखारी (हदीस 614) में नबी (स.अ.व.) ने फरमाया: “जो यह दुआ पढ़े, मेरी शफाअत उसका हक़ बन जाएगी।” यानी क़यामत के दिन नबी (स.अ.व.) उसकी मदद करेंगे। सूरह अल-अहज़ाब (33:56) में अल्लाह फरमाता है: “अल्लाह और उसके फरिश्ते नबी पर दुरूद भेजते हैं, तुम भी दुरूद भेजो।” यह दुआ उस हुक्म को पूरा करती है। भारत में लोग अज़ान सुनते ही मस्जिद की तरफ बढ़ते हैं और यह दुआ पढ़ते हैं।


अज़ान के बाद की दुआ कब और कैसे पढ़ें?

अज़ान के बाद दुआ पढ़ना आसान है। यहाँ सही तरीका है:

  1. अज़ान सुनें: अज़ान को ध्यान से सुनें और हर लफ्ज़ का जवाब दें। जैसे “हय्या अलस सलाह” पर “ला हौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह” कहें।
  2. दुरूद पढ़ें: अज़ान खत्म होने पर नबी (स.अ.व.) पर दुरूद पढ़ें (जैसे “अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मद”)।
  3. दुआ पढ़ें: “अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़िहिद दअवति…” को शिद्दत से पढ़ें।
  4. दिल से माँगें: इसे खामोशी में और यकीन के साथ पढ़ें।
  5. नमाज़ की तैयारी: इसके बाद वुज़ू करें और नमाज़ पढ़ें।

कब पढ़ें:

  • हर अज़ान के बाद—फज्र, ज़ुहर, असर, मग़रिब, या इशा। हनफी मज़हब में इसे हर वक़्त पढ़ना पसंद करते हैं।

अज़ान के बाद की दुआ के फायदे

  • शफाअत: नबी (स.अ.व.) की सिफारिश का हक़ मिलता है।
  • सवाब: सुन्नत पर चलने से अल्लाह की रहमत आती है।
  • बरकत: दिन में बरकत बढ़ती है।
  • राहत: दिल को सुकून मिलता है।

सूरह अल-अहज़ाब (33:56) में नबी (स.अ.व.) पर दुआ का हुक्म है। यह दुआ उसकी तामील है।


📌 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

1. क्या अज़ान के बाद दुआ हर बार पढ़नी चाहिए?
यह सुन्नत है। हर बार पढ़ना बेहतर है, मगर न पढ़ने से गुनाह नहीं।

2. अगर दुआ याद न हो तो क्या करें?
नबी (स.अ.व.) पर दुरूद पढ़ें, जैसे “अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मद”।

3. क्या औरतें भी यह दुआ पढ़ सकती हैं?
हाँ, यह दुआ हर मुसलमान के लिए है।

4. लंबी दुआ पढ़ना सही है?
छोटी दुआ हदीस से सही है। लंबी दुआ में कुछ हिस्से जायज़ हैं, मगर पूरी तरह साबित नहीं।


आखिरी बात

“अज़ान के बाद की दुआ” नबी (स.अ.व.) की शफाअत और अल्लाह की रहमत का ज़रिया है। “अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़िहिद दअवति…” को हर अज़ान के बाद दिल से पढ़ें। यह छोटी दुआ सही और आसान है। भारत में लोग अज़ान सुनते ही इसे दोहराते हैं। अज़ान का जवाब दें और यह दुआ माँगें। इससे आपकी नमाज़ और ज़िंदगी में बरकत आएगी। और दुआओं के लिए Dua India पर जाएँ। अल्लाह हमें हर अज़ान का जवाब देने की तौफ़ीक़ दे, आमीन!