वुज़ू करना हर नमाज़ से पहले का एक खास और ज़रूरी काम है। यह हमें साफ़-सुथरा बनाता है और अल्लाह के सामने पेश होने के लिए तैयार करता है। भारत में लोग “वुज़ू से पहले और बाद की दुआ” को पढ़ना चाहते हैं, ताकि यह इबादत सुन्नत के साथ पूरी हो और अल्लाह की रहमत मिले। हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने वुज़ू की शुरुआत और खत्म करने के लिए खास दुआएँ सिखाईं। यहाँ हम आपको वुज़ू से पहले की दुआ और वुज़ू के बाद की दो मशहूर दुआएँ बताएँगे—एक छोटी और एक पूरी। इनके मतलब और फायदे जानकर आप भी इन्हें अपनी ज़िंदगी में शामिल करना चाहेंगे।
📜 वुज़ू से पहले और बाद की दुआ (The Dua Before and After Wudu)
वुज़ू से पहले और बाद में दुआ पढ़ना नबी (स.अ.व.) की सुन्नत है। यहाँ तीन दुआएँ हैं—एक वुज़ू से पहले और दो वुज़ू के बाद की।
1. वुज़ू से पहले की दुआ
📜 अरबी में दुआ:
بِسْمِ اللَّهِ
📜 हिंदी में लिखावट:
बिस्मिल्लाह
📜 हिंदी में मतलब:
“अल्लाह के नाम से।”
📜 English Transliteration:
Bismillah
📜 English Translation:
“In the name of Allah.”
माखज़ (Source):
- यह दुआ सुनन अबी दाऊद (हदीस 101) और सुनन इब्ने माजा (हदीस 397) में हज़रत अबू हुरैरह (र.अ.) से रिवायत है। नबी (स.अ.व.) ने हर अच्छे काम को “बिस्मिल्लाह” से शुरू करने की सलाह दी।
- अल्लामा अल्बानी ने इसे सही कहा है (सही सुनन अबी दाऊद, हदीस 92)।
- वुज़ू को इबादत बनाने के लिए इसे शुरू में पढ़ें।
2. वुज़ू के बाद की छोटी दुआ
📜 अरबी में दुआ:
أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ
📜 हिंदी में लिखावट:
अशहदु अन ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीक लहु व अशहदु अन्न मुहम्मदान अब्दुहु व रसूलुहु
📜 हिंदी में मतलब:
“मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, वह अकेला है, उसका कोई शरीक नहीं, और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद (स.अ.व.) उसके बन्दे और रसूल हैं।”
📜 English Transliteration:
Ash-hadu an la ilaha illallahu wahdahu la sharika lahu wa ash-hadu anna Muhammadan abduhu wa rasuluhu
📜 English Translation:
“I bear witness that there is no god but Allah alone, without any partner, and I bear witness that Muhammad is His servant and Messenger.”
माखज़ (Source):
- यह दुआ सुनन तिर्मिज़ी (हदीस 55) का हिस्सा है, हज़रत उमर (र.अ.) से रिवायत।
- अल्लामा अल्बानी ने इसे सही कहा है (सही सुनन तिर्मिज़ी, हदीस 48)।
- यह छोटी और आसान है, जो वुज़ू के बाद पढ़ी जा सकती है।
3. वुज़ू के बाद की पूरी दुआ
📜 अरबी में दुआ:
أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ، اللَّهُمَّ اجْعَلْنِي مِنَ التَّوَّابِينَ وَاجْعَلْنِي مِنَ الْمُتَطَهِّرِينَ
📜 हिंदी में लिखावट:
अशहदु अन ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीक लहु व अशहदु अन्न मुहम्मदान अब्दुहु व रसूलुहु, अल्लाहुम्मा जअलनी मिनत तव्वाबीना वजअलनी मिनल मुततह्हिरीन
📜 हिंदी में मतलब:
“मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, वह अकेला है, उसका कोई शरीक नहीं, और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद (स.अ.व.) उसके बन्दे और रसूल हैं। ऐ अल्लाह! मुझे तौबा करने वालों में शामिल कर और मुझे पाकीज़ा लोगों में से बना।”
📜 English Transliteration:
Ashhadu an la ilaha illallahu wahdahu la sharika lahu wa ashhadu anna Muhammadan ‘abduhu wa rasuluhu, Allahumma j‘alni minat tawwabina waj‘alni minal mutatahhirin
📜 English Translation:
“I bear witness that there is no god but Allah alone, without any partner, and I bear witness that Muhammad is His servant and Messenger. O Allah! Make me among those who repent and make me among those who purify themselves.”
माखज़ (Source):
- यह पूरी दुआ सुनन तिर्मिज़ी (हदीस 55) में हज़रत उमर (र.अ.) से रिवायत है। नबी (स.अ.व.) ने इसे वुज़ू के बाद पढ़ा।
- अल्लामा अल्बानी ने इसे सही कहा है (सही सुनन तिर्मिज़ी, हदीस 48)।
वुज़ू से पहले और बाद की दुआ की अहमियत
वुज़ू करना नमाज़ का पहला कदम है। यह हमें साफ़ करता है और गुनाहों को धो देता है। सही बुखारी (हदीस 159) में नबी (स.अ.व.) ने फरमाया: “जो अच्छे से वुज़ू करे, उसके गुनाह उसके जिस्म से निकल जाते हैं, यहाँ तक कि नाखूनों के नीचे से भी।” वुज़ू से पहले “बिस्मिल्लाह” कहना इसे इबादत बनाता है। वुज़ू के बाद की दुआ जन्नत का रास्ता खोलती है। सही मुस्लिम (हदीस 234) में नबी (स.अ.व.) ने फरमाया: “जो वुज़ू के बाद पूरी दुआ पढ़े, उसके लिए जन्नत के आठ दरवाज़े खुल जाएँगे। वह जिससे चाहे दाखिल हो।” छोटी दुआ भी सही है और सवाब देती है, मगर पूरी दुआ में तौबा और पाकी की माँग इसे और खास बनाती है। सूरह अल-माइदा (5:6) में अल्लाह फरमाता है: “ऐ ईमान वालो! जब तुम नमाज़ के लिए उठो, तो अपना मुँह और हाथ धोओ… ताकि तुम्हें पाक करे।” भारत में लोग इसे हर नमाज़ से पहले पढ़ते हैं।
वुज़ू से पहले और बाद की दुआ कब और कैसे पढ़ें?
वुज़ू से पहले और बाद की दुआ पढ़ना आसान है। यहाँ सही तरीका है:
वुज़ू से पहले:
- नियत करें: दिल में सोचें कि यह वुज़ू अल्लाह के लिए है।
- दुआ पढ़ें: “बिस्मिल्लाह” कहकर वुज़ू शुरू करें।
- सुन्नत तरीके से: मुँह, नाक, हाथ, और पैर धोते वक़्त सुन्नत का ख्याल रखें।
वुज़ू के बाद:
- दुआ चुनें: छोटी दुआ “अशहदु अन ला इलाहा…” या पूरी दुआ “अशहदु अन ला इलाहा… अल्लाहुम्मा जअलनी…” पढ़ें।
- आसमान की ओर देखें: नबी (स.अ.व.) की सुन्नत है कि इसे आसमान की तरफ देखकर पढ़ें (सुनन तिर्मिज़ी, हदीस 55)।
- दिल से माँगें: इसे खामोशी में और यकीन के साथ पढ़ें।
- नमाज़ पढ़ें: इसके बाद नमाज़ शुरू करें या अल्लाह का ज़िक्र करें।
कब पढ़ें:
- हर वुज़ू से पहले और बाद में। हनफी मज़हब में इसे हर नमाज़ से पहले पढ़ना अच्छा माना जाता है। पूरी दुआ ज़्यादा सवाब देती है।
वुज़ू से पहले और बाद की दुआ के फायदे
- सफाई: वुज़ू और दुआ से जिस्म और दिल साफ़ होते हैं।
- जन्नत का रास्ता: पूरी दुआ से जन्नत के आठ दरवाज़े खुलते हैं।
- गुनाहों की माफी: वुज़ू के साथ दुआ गुनाह धो देती है।
- सवाब: सुन्नत पर चलने से अल्लाह की रहमत मिलती है।
सूरह अल-माइदा (5:6) में अल्लाह का वादा है कि वुज़ू से पाकीज़गी मिलती है। ये दुआएँ उस वादे को पूरा करती हैं।
📌 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
1. वुज़ू से पहले “बिस्मिल्लाह” बोलना ज़रूरी है?
यह सुन्नत है। अगर भूल जाएँ, तो भी वुज़ू सही है।
2. अगर पूरी दुआ याद न हो तो क्या करें?
छोटी दुआ “अशहदु अन ला इलाहा…” पढ़ें या “अल्लाहुम्मा इगफिरली” कहें।
3. क्या हर वुज़ू के बाद दुआ पढ़ना चाहिए?
हाँ, यह सुन्नत है और हर बार पढ़ने से सवाब मिलता है।
4. क्या बच्चे और औरतें भी ये दुआ पढ़ सकते हैं?
हाँ, यह दुआ हर मुसलमान के लिए है।
आखिरी बात
“वुज़ू से पहले और बाद की दुआ” हमें अल्लाह की रहमत और जन्नत के करीब लाती है। “बिस्मिल्लाह” से वुज़ू शुरू करें और “अशहदु अन ला इलाहा…” से खत्म करें। पूरी दुआ में तौबा और पाकी की माँग है, जो इसे खास बनाती है। भारत में लोग इसे हर नमाज़ से पहले पढ़ते हैं। इसे दिल से माँगें और सुन्नत पर चलें। और दुआओं के लिए duaindia.com पर जाएँ। अल्लाह हमें हर वुज़ू में बरकत दे, आमीन!