रमज़ान हो या आम दिन, नमाज़ हर मुसलमान के लिए अल्लाह से जुड़ने का खास ज़रिया है। इशा के बाद पढ़ी जाने वाली वित्र की नमाज़ में “दुआ ए क़ुनूत” पढ़ना हमारे नबी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सुन्नत है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दुआ की दो मशहूर शक्लें हैं? एक को हनफी मज़हब वाले पढ़ते हैं, और दूसरी को शाफ़ई मज़हब वाले। दोनों सही हदीसों से साबित हैं। यहाँ हम आपको दोनों दुआएँ बताएँगे, उनके माखज़ (स्रोत) के साथ, ताकि आप सही तरीके से समझ सकें और पढ़ सकें।
दुआ ए क़ुनूत: दो सही शक्लें
“दुआ ए क़ुनूत” वित्र की नमाज़ में पढ़ी जाती है। हदीस में इसके दो तरीके मिलते हैं, जो अलग-अलग सहाबा से रिवायत हैं। आप इनमें से कोई भी पढ़ सकते हैं—दोनों सुन्नत हैं।
1. दुआ ए क़ुनूत (हनफी मज़हब)
अरबी में दुआ:
اَللَّهُمَّ إِنَّا نَسْتَعِينُكَ وَنَسْتَغْفِرُكَ وَنُؤْمِنُ بِكَ وَنَتَوَكَّلُ عَلَيْكَ وَنُثْنِي عَلَيْكَ الْخَيْرَ وَنَشْكُرُكَ وَلَا نَكْفُرُكَ وَنَخْلَعُ وَنَتْرُكُ مَنْ يَفْجُرُكَ اَللَّهُمَّ إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَلَكَ نُصَلِّي وَنَسْجُدُ وَإِلَيْكَ نَسْعَى وَنَحْفِدُ وَنَرْجُو رَحْمَتَكَ وَنَخْشَى عَذَابَكَ إِنَّ عَذَابَكَ بِالْكُفَّارِ مُلْحِقٌ
हिंदी में लिखावट:
अल्लाहुम्मा इन्ना नस्तईनुका व नस्तग़फिरुका व नुओमिनु बिका व नतवक्कलु अलैका व नुस्नी अलैकल खैर, व नश्कुरुका वला नकफुरुका व नख्लऊ व नतरुकु मय यफ्जुरुक, अल्लाहुम्मा इय्याका नअबुदु व लका नुसल्ली व नस्जुद, व इलैका नसआ व नहफिदु, व नरजू रहमataka व नख्शा अज़ाबक, इन्ना अज़ाबक बिल कुफ्फारि मुल्हिक
हिंदी में मतलब:
“ऐ अल्लाह! हम तुझ से मदद माँगते हैं, तुझ से माफी माँगते हैं, तुझ पर ईमान लाते हैं, तुझ पर भरोसा करते हैं, और तेरी अच्छी तारीफ़ करते हैं। हम तेरा शुक्र करते हैं, तेरी नाशुक्री नहीं करते। जो तेरी नाफरमानी करे, उसे हम छोड़ते और दूर करते हैं। ऐ अल्लाह! सिर्फ़ तेरी ही इबादत करते हैं, तेरे लिए नमाज़ पढ़ते और सजदा करते हैं। तेरी तरफ दौड़ते और तेरी खिदमत करते हैं। तेरी रहमत की उम्मीद करते हैं और तेरे अज़ाब से डरते हैं। बेशक तेरा अज़ाब काफिरों तक पहुँचने वाला है।”
English Transliteration:
Allahumma inna nasta‘eenuka wa nastaghfiruka wa nu’minu bika wa natawakkalu ‘alayka wa nuthni ‘alayka al-khayr, wa nashkuruka wala nakfuruka wa nakhla‘u wa natruku man yafjuruk, Allahumma iyyaka na‘budu wa laka nusalli wa nasjudu wa ilayka nas‘a wa nahfidu wa narju rahmataka wa nakhsha ‘adhabaka, inna ‘adhabaka bil-kuffari mulhiq
English Translation:
“O Allah! We seek Your help, ask Your forgiveness, believe in You, rely on You, and praise You with goodness. We thank You and are not ungrateful to You. We abandon and forsake those who disobey You. O Allah! You alone we worship, for You we pray and prostrate, toward You we strive and hasten. We hope for Your mercy and fear Your punishment. Indeed, Your punishment will surely reach the disbelievers.”
माखज़ (Source):
- यह दुआ “अस-सुनन अल-कुब्रा लिल-बैहकी” (जिल्द 2, पेज 201) में हज़रत उमर (र.अ.) और हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद (र.अ.) से रिवायत है।
- कुछ उलमा इसे सुनन इब्ने माजा (हदीस 1181) से भी जोड़ते हैं, जहाँ यह वित्र में पढ़ी गई।
- हनफी मज़हब इसे वित्र की नमाज़ में पढ़ता है, और यह परंपरा से मशहूर है।
2. दुआ ए क़ुनूत (शाफ़ई मज़हब)
अरबी में दुआ:
اللَّهُمَّ اهْدِنِي فِيمَنْ هَدَيْتَ وَعَافِنِي فِيمَنْ عَافَيْتَ وَتَوَلَّنِي فِيمَنْ تَوَلَّيْتَ وَبَارِكْ لِي فِيمَا أَعْطَيْتَ وَقِنِي شَرَّ مَا قَضَيْتَ إِنَّكَ تَقْضِي وَلَا يُقْضَى عَلَيْكَ وَإِنَّهُ لَا يَذِلُّ مَنْ وَالَيْتَ وَلَا يَعِزُّ مَنْ عَادَيْتَ تَبَارَكْتَ رَبَّنَا وَتَعَالَيْتَ
हिंदी में लिखावट:
अल्लाहुम्मा इहदिनी फीमन हदैत, व आाफिनी फीमन आाफैत, व तवल्लनी फीमन तवल्लैत, व बारिक ली फीमा अअतैत, व किनी शर्रा मा क़ज़ैत, फ इन्नका तक़ज़ी व ला युक़ज़ा अलैक, व इन्नहू ला यज़िल्लु मन वालैत, व ला यअिज्ज़ु मन आदैत, तबारकता रब्बना व तआलैत
हिंदी में मतलब:
“ऐ अल्लाह! मुझे उन लोगों के साथ हिदायत दे जिन्हें तूने हिदायत दी। मुझे उन लोगों के साथ आफियत दे जिन्हें तूने आफियत दी। मुझे उन लोगों के साथ अपनी दोस्ती में रख जिन्हें तूने अपनी दोस्ती दी। जो कुछ तूने मुझे दिया, उसमें मेरे लिए बरकत दे। और जो कुछ तूने तय किया, उसके शर से मुझे बचा। बेशक तू फैसला करता है, तेरे खिलाफ कोई फैसला नहीं कर सकता। जिसे तूने दोस्त बनाया, वह कभी ज़लील नहीं होता, और जिसे तूने दुश्मन बनाया, वह कभी इज़्ज़त नहीं पाता। ऐ हमारे रब! तू बरकत वाला और बहुत बुलंद है।”
English Transliteration:
Allahumma ihdini fiman hadayt, wa ‘aafini fiman ‘aafayt, wa tawallani fiman tawallayt, wa barik li fima a‘tayt, wa qini sharra ma qadayt, fa innaka taqdi wa la yuqda ‘alayk, wa innahu la yadhillu man walayt, wa la ya‘izzu man ‘adayt, tabarakta rabbana wa ta‘alayt
English Translation:
“O Allah! Guide me among those You have guided, grant me well-being among those You have granted well-being, befriend me among those You have befriended, bless me in what You have given, and protect me from the evil of what You have decreed. Indeed, You decree and none can decree over You. He whom You befriend is never humiliated, and he whom You oppose is never honored. Blessed are You, our Lord, and Exalted.”
माखज़ (Source):
- यह दुआ सुनन अबी दाऊद (हदीस 1425), सुनन तिर्मिज़ी (हदीस 464), और सुनन नसाई (हदीस 1745) में हज़रत हसन इब्ने अली (र.अ.) से रिवायत है। नबी (स.अ.व.) ने इसे उन्हें सिखाया।
- अल्लामा अल्बानी ने इसे सही कहा (सही सुनन अबी दाऊद, हदीस 1262)।
- शाफ़ई मज़हब इसे वित्र में पढ़ता है।
दुआ ए क़ुनूत की अहमियत
“दुआ ए क़ुनूत” वित्र की नमाज़ में पढ़ी जाती है, जो रमज़ान और बाकी दिनों में सुन्नत है। सही बुखारी (हदीस 37) में है: “जो शख्स रमज़ान की रातों में ईमान और सवाब की उम्मीद से नमाज़ पढ़े, उसके पिछले गुनाह माफ़ हो जाते हैं।” हनफी दुआ में अल्लाह की तारीफ़, शुक्र, और काफिरों से बराअत है, जबकि शाफ़ई दुआ में हिदायत, बरकत, और पनाह की माँग है। सही मुस्लिम (हदीस 678) में है कि नबी (स.अ.व.) ने मुश्किल वक़्त में फज्र में क़ुनूत पढ़ा, जो दिखाता है कि यह दुआ हर हाल में मदद माँगने का ज़रिया है। दोनों दुआएँ अल्लाह से रिश्ता मज़बूत करती हैं।
दुआ ए क़ुनूत कब और कैसे पढ़ें?
वित्र की नमाज़ आम तौर पर तीन रकअत होती है। इसे इशा के बाद पढ़ते हैं। दुआ ए क़ुनूत पढ़ने का तरीका:
- तीसरी रकअत में: सूरह फातिहा और कोई छोटी सूरह (जैसे सूरह इखलास) पढ़ें।
- तकबीर कहें: “अल्लाहु अकबर” कहकर हाथ कानों तक उठाएँ।
- हाथ बाँधें: फिर हाथ छाती पर बाँध लें।
- दुआ पढ़ें: ऊपर दी गई हनफी या शाफ़ई दुआ पढ़ें।
- रुकू में जाएँ: दुआ के बाद “अल्लाहु अकबर” कहकर रुकू करें और नमाज़ पूरी करें।
माखज़: सुनन अबी दाऊद (हदीस 1425) में नबी (स.अ.व.) ने यह दुआ रुकू से पहले पढ़ी। हनफी मज़हब भी इसी तरह पढ़ता है (अस-सुनन अल-कुब्रा, जिल्द 2, पेज 201)।
दुआ ए क़ुनूत के फायदे
- हनफी दुआ: तारीफ़, शुक्र, और नाफरमानों से दूरी माँगती है।
- शाफ़ई दुआ: हिदायत, आफियत, और बुराई से पनाह माँगती है।
- सवाब: वित्र में पढ़ने से रमज़ान की इबादत मुकम्मल होती है।
- सुकून: यह दिल को अल्लाह की याद से भर देती है।
सूरह अल-बक़रह (2:201) में है: “ऐ हमारे रब! हमें दुनिया और आखिरत में भलाई दे और आग के अज़ाब से बचा।” यह क़ुनूत के मकसद से मिलता-जुलता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
1. दुआ ए क़ुनूत वित्र में ज़रूरी है?
नहीं, यह सुन्नत है, वाजिब नहीं। न पढ़ें तो भी नमाज़ सही है।
2. हनफी और शाफ़ई दुआ में क्या फ़र्क है?
हनफी दुआ में तारीफ़ और काफिरों से बराअत है, शाफ़ई दुआ में हिदायत और पनाह की माँग है। दोनों सही हैं।
3. अगर दुआ याद न हो तो क्या करें?
“रब्बना आतिना फिद्दुनिया हसनतन…” (सूरह अल-बक़रह, 2:201) पढ़ें या अपनी ज़बान में दुआ माँगें।
4. क्या इसे फज्र में पढ़ सकते हैं?
हाँ, मुश्किल वक़्त में फज्र में भी पढ़ सकते हैं (सही मुस्लिम, हदीस 678)।
आखिरी बात
“दुआ ए क़ुनूत” वित्र की नमाज़ में अल्लाह से मदद और रहमत माँगने की सुन्नत है। हनफी और शाफ़ई दोनों शक्लें हदीस से साबित हैं। आप अपने मज़हब के मुताबिक पढ़ें, या जो आसान लगे। यह दुआ आपकी इबादत को खूबसूरत बनाती है। इसे हर रात पढ़ें और अल्लाह से जुड़ें। और दुआओं के लिए Dua India पर जाएँ। अल्लाह हमारी नमाज़ और दुआएँ कबूल करे, आमीन!