शबे क़द्र की दुआ – वह रात जो हज़ार महीनों से बेहतर है

Shab e qadr ki dua hindi

रमज़ान का महीना हर मुसलमान के लिए बरकतों और रहमतों का ख़ज़ाना लिए आता है। इस मुबारक महीने में एक ऐसी रात छुपी है जिसे शबे क़द्र कहते हैं। कुरआन में अल्लाह ने इसे हज़ार महीनों से अफ़ज़ल बताया है। यह वह रात है जब कुरआन पहली बार ज़मीन पर उतरा। इस रात में की गई इबादत और दुआएँ अल्लाह के यहाँ बहुत ऊँचा मक़ाम रखती हैं। ख़ास तौर पर भारतीय मुसलमानों के लिए यह रात इसलिए भी क़ीमती है क्योंकि इसकी दुआएँ छोटी, आसान और दिल को छूने वाली होती हैं।

आइए, हम इस रात की अहमियत, इसकी दुआ और इसे पढ़ने का तरीक़ा जानें।


शबे क़द्र की सब से मशहूर दुआ

शबे क़द्र के लिए सबसे ज़्यादा जानी-पहचानी दुआ वह है जो हज़रत आयशा (रज़ि.) ने रसूलुल्लाह (स.अ.व.) से सीखी। उन्होंने नबी (स.अ.व.) से सवाल किया कि अगर उन्हें यह रात मिले तो क्या दुआ माँगें। आप (स.अ.व.) ने एक छोटी लेकिन बहुत असरदार दुआ बताई।

अरबी में दुआ:

اللهم إنك عفو تحب العفو فاعف عني

हिंदी में लिखावट:

अल्लाहुम्मा इन्नका अफ़वुन तुहिब्बुल अफ़वा फा’फु अन्नी

हिंदी में मतलब:

ऐ अल्लाह! तू माफ़ करने वाला है और माफ़ी को पसंद करता है, तो मुझे माफ़ कर दे।

English Transliteration:

Allahumma innaka ‘afuwwun tuhibbul ‘afwa fa’fu ‘anni

English Translation:

O Allah! You are Forgiving and You love forgiveness, so forgive me.

स्रोत:

यह दुआ सुनन इब्ने माजा, किताब 34 (दुआओं की किताब), हदीस नंबर 3850 में दर्ज है। इसे जामि’ तिरमिज़ी, हदीस नंबर 3513 में भी पाया जाता है। यह हदीस सहीह है और इसकी सनद पक्की है।

इस दुआ को शबे क़द्र की रात में बार-बार पढ़ना चाहिए। अपने गुनाहों की माफ़ी माँगते हुए अल्लाह की रहमत पर पूरा भरोसा रखें।


शबे क़द्र की फज़ीलत

कुरआन की सूरह अल-क़द्र में अल्लाह फरमाता है:
“हमने इसे शबे क़द्र में उतारा। और तुझे क्या मालूम कि शबे क़द्र क्या है? शबे क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है।” (सूरह अल-क़द्र, आयत 1-3)

इस रात में फरिश्ते ज़मीन पर आते हैं और अल्लाह की रहमत हर तरफ़ फैल जाती है। जो शख्स इस रात में दुआ करता है, उसकी पुकार ज़रूर सुनी जाती है। भारत के मुसलमान इस रात को मस्जिदों में कुरआन की तिलावत करते हैं, नमाज़ पढ़ते हैं और अपने लिए ख़ैर की दुआएँ माँगते हैं। यह रात गुनाहों से तौबा और जन्नत की उम्मीद का बेहतरीन मौक़ा देती है।


शबे क़द्र की दुआ का वक़्त और तरीक़ा

शबे क़द्र रमज़ान के आख़िरी दस दिनों की ताक़ रातों में होती है। ये रातें हैं 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं और 29वीं। इनमें 27वीं रात को सबसे ज़्यादा अहमियत दी जाती है, लेकिन हर रात में इसकी तलाश करनी चाहिए।

दुआ पढ़ने का तरीक़ा:

  • रात में दो या चार रकअत नफ़्ल नमाज़ पढ़ें।
  • कुरआन की कुछ आयतें, ख़ास तौर पर सूरह अल-क़द्र की तिलावत करें।
  • ऊपर दी गई दुआ को बार-बार पढ़ें और अपने दिल की हर बात अल्लाह से कहें।
  • अगर मुमकिन हो तो सुबह तक इबादत में जागें।

दुआ माँगते वक़्त यह यक़ीन रखें कि अल्लाह आपकी हर बात सुन रहा है। अपनी हर ज़रूरत और ख्वाहिश को उसके सामने पेश करें।


एक और जानी-पहचानी दुआ

शबे क़द्र में सिर्फ़ एक दुआ तक सीमित रहना ज़रूरी नहीं। यहाँ एक और मशहूर दुआ दी जा रही है जो आप पढ़ सकते हैं।

अरबी में दुआ:

ربنا آتنا في الدنيا حسنة وفي الآخرة حسنة وقنا عذاب النار

हिंदी में लिखावट:

रब्बना आतिना फिद-दुनिया हसनतन व फ़िल-आख़िरति हसनतन व क़िना अज़ाबन-नार

हिंदी में मतलब:

ऐ हमारे रब! हमें दुनिया में नेकी दे, आख़िरत में नेकी दे और हमें जहन्नम की आग से बचा।

English Transliteration:

Rabbana aatina fid-dunya hasanatan wa fil-aakhirati hasanatan wa qina ‘adhaaban-naar

English Translation:

Our Lord! Grant us good in this world and good in the Hereafter, and protect us from the punishment of the Fire.

स्रोत:

यह दुआ कुरआन, सूरह अल-बक़रा, आयत 201 से ली गई है। इसे शबे क़द्र में पढ़ने से बहुत सवाब मिलता है।


शबे क़द्र का मोल

शबे क़द्र में इबादत करने वाला अल्लाह की नज़र में बहुत ऊँचा दर्जा हासिल करता है। यह रात उन लोगों के लिए ख़ास है जो अपने गुनाहों से तौबा करना चाहते हैं। अगर आप इसे सच्चे दिल से मानें और दुआ करें तो अल्लाह की रहमत आपके क़रीब आएगी।

रमज़ान की दूसरी दुआओं के बारे में जानने के लिए “रमज़ान की दुआ” और “आख़िरी दस रातों की दुआ” ज़रूर देखें।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

शबे क़द्र की दुआ कौन सी है?

सबसे मशहूर दुआ “اللهم إنك عفو تحب العفو فاعف عني” है। इसका मतलब है: ऐ अल्लाह! तू माफ़ करने वाला है और माफ़ी को पसंद करता है, तो मुझे माफ़ कर दे। यह सुनन इब्ने माजा में दर्ज है।

क्या शबे क़द्र की दुआ सिर्फ़ अरबी में पढ़नी चाहिए?

अरबी में पढ़ना सबसे अच्छा है, लेकिन अगर अरबी न आए तो हिंदी या अपनी ज़बान में मतलब समझकर माँग सकते हैं।

शबे क़द्र कब होती है?

यह रमज़ान की आख़िरी दस ताक़ रातों (21, 23, 25, 27, 29) में से किसी एक में होती है। 27वीं रात को सबसे ज़्यादा मान्यता मिलती है।

इस रात में कितनी दुआएँ माँग सकते हैं?

जितनी चाहें उतनी दुआएँ माँगें। अल्लाह से हर ख्वाहिश और माफ़ी तलब करें।


आख़िरी लफ्ज़

शबे क़द्र हर मुसलमान के लिए अल्लाह की तरफ़ से एक अनमोल नेमत है। इसकी दुआएँ आसान हैं और इनका असर गहरा है। इसे सच्चे दिल से पढ़ें और अल्लाह की रहमत की उम्मीद रखें। अगर यह दुआ आपको फ़ायदेमंद लगी तो इसे अपने दोस्तों और घरवालों के साथ बाँटें।