रमज़ान का महीना अल्लाह की रहमत और इबादत का खास वक़्त है। रोज़ों के बाद तरावीह की नमाज़ रातों को और भी मुबारक बनाती है। बहुत से लोग “तरावीह की दुआ” ढूंढते हैं, जो नमाज़ के बाद पढ़ी जाती है। लेकिन सच यह है कि कुरआन या सही हदीस में तरावीह के लिए कोई एक खास दुआ नहीं बताई गई। हमारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने तरावीह पढ़ी, मगर इसके बाद कोई तय दुआ नहीं सिखाई। फिर भी, लोग अल्लाह की तारीफ़ और दुआ के लिए कुछ मशहूर तस्बीहात पढ़ते हैं। यहाँ हम आपको ये दुआएँ बताएँगे, जो मस्जिदों में पढ़ी जाती हैं, और उनके स्रोत भी समझाएँगे। आप इनमें से कोई भी पढ़ सकते हैं—सब जायज़ हैं, क्योंकि अल्लाह का ज़िक्र हर तरह से खूबसूरत है।
तरावीह की दुआ: अलग-अलग मशहूर तरीके
तरावीह के बाद लोग कई तरह की दुआएँ पढ़ते हैं। यहाँ हम तीन मशहूर दुआएँ पेश कर रहे हैं, जो अक्सर सुनी जाती हैं। हर दुआ के साथ उसका स्रोत भी बताया गया है, ताकि आपको साफ़ समझ आए कि ये कहाँ से आईं।
1. पहली दुआ (छोटी और आम)
अरबी में दुआ:
سُبْحَانَ ذِي الْمُلْكِ وَالْمَلَكُوتِ سُبْحَانَ ذِي الْعِزَّةِ وَالْعَظَمَةِ وَالْهَيْبَةِ وَالْقُدْرَةِ وَالْكِبْرِيَاءِ وَالْجَبَرُوتِ سُبْحَانَ الْمَلِكِ الْحَيِّ الَّذِي لَا يَمُوتُ سُبُّوحٌ قُدُّوسٌ رَبُّنَا وَرَبُّ الْمَلَائِكَةِ وَالرُّوحِ
हिंदी में लिखावट:
सुभान ज़िल मुल्कि वल मलकूत, सुभान ज़िल इज़्ज़ति वल अज़मति वल हैबति वल कुदरति वल किबरियाई वल जबरूत, सुभानल मलिकिल हय्यिल लज़ी ला यमूत, सुब्बूहुन कुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइका वर रूह
हिंदी में मतलब:
“पाक है वह जिसके पास बादशाहत और सारी कायनात है। पाक है वह जो इज़्ज़त, बड़ाई, रौब, ताक़त, बुलंदी और बड़ी शान वाला है। पाक है वह बादशाह जो ज़िंदा है और कभी नहीं मरता। वह बेहद पाक और पवित्र है, हमारा रब और फरिश्तों व रूह का रब है।”
English Transliteration:
Subhana zil mulki wal malakoot, subhana zil izzati wal azmati wal haibati wal qudrati wal kibriyaai wal jabaroot, subhanal malikil hayyil lazi la yamoot, subboohun quddoosun rabbuna wa rabbul malaikati war rooh
English Translation:
“Glory be to the One who possesses dominion and the kingdom. Glory be to the One of might, greatness, awe, power, pride, and supremacy. Glory be to the Living King who never dies. Most Glorious, Most Holy, our Lord and the Lord of the angels and the spirit.”
माखज़ (Source):
- इसका आखिरी हिस्सा “سُبُّوحٌ قُدُّوسٌ” सही मुस्लिम (हदीस 1016) में है, जहाँ फरिश्ते अल्लाह का यह ज़िक्र करते हैं। लेकिन यह तरावीह के लिए खास नहीं।
- बाकी हिस्सा कुरआन की आयतों से मिलता-जुलता है, जैसे सूरह अल-मुल्क (67:1) में “ذِي الْمُلْكِ” और सूरह अल-फुरकान (25:58) में “الْحَيِّ الَّذِي لَا يَمُوتُ”।
- यह दुआ उलमा ने जोड़ी है, हदीस में तरावीह के लिए नहीं मिलती।
2. दूसरी दुआ (लंबी, मस्जिदों में मशहूर)
अरबी में दुआ:
سُبْحَانَ ذِي الْمُلْكِ وَالْمَلَكُوتِ سُبْحَانَ ذِي الْعِزَّةِ وَالْعَظَمَةِ وَالْهَيْبَةِ وَالْقُدْرَةِ وَالْكِبْرِيَاءِ وَالْجَبَرُوتِ سُبْحَانَ الْمَلِكِ الْحَيِّ الَّذِي لَا يَنَامُ وَلَا يَمُوتُ سُبُّوحٌ قُدُّوسٌ رَبُّنَا وَرَبُّ الْمَلَائِكَةِ وَالرُّوحِ اللَّهُمَّ أَجِرْنَا مِنَ النَّارِ يَا مُجِيرُ يَا مُجِيرُ يَا مُجِيرُ
हिंदी में लिखावट:
सुभान ज़िल मुल्कि वल मलकूत, सुभान ज़िल इज़्ज़ति वल अज़मति वल हैबति वल कुदरति वल किबरियाई वल जबरूत, सुभानल मलिकिल हय्यिल लज़ी ला यनामु वला यमूत, सुब्बूहुन कुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइका वर रूह, अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन नार, या मुजीरु या मुजीरु या मुजीर
हिंदी में मतलब:
“पाक है वह जिसके पास बादशाहत और सारी कायनात है। पाक है वह जो इज़्ज़त, बड़ाई, रौब, ताक़त, बुलंदी और बड़ी शान वाला है। पाक है वह बादशाह जो ज़िंदा है, न सोता है न मरता है। वह बेहद पाक और पवित्र है, हमारा रब और फरिश्तों व रूह का रब है। ऐ अल्लाह! हमें जहन्नम की आग से बचाओ, ऐ पनाह देने वाले, ऐ पनाह देने वाले, ऐ पनाह देने वाले।”
English Transliteration:
Subhana zil mulki wal malakoot, subhana zil izzati wal azmati wal haibati wal qudrati wal kibriyaai wal jabaroot, subhanal malikil hayyil lazi la yanaamu wala yamoot, subboohun quddoosun rabbuna wa rabbul malaikati war rooh, Allahumma ajirna minan naar, ya mujiro ya mujiro ya mujeer
English Translation:
“Glory be to the One who possesses dominion and the kingdom. Glory be to the One of might, greatness, awe, power, pride, and supremacy. Glory be to the Living King who neither sleeps nor dies. Most Glorious, Most Holy, our Lord and the Lord of the angels and the spirit. O Allah, protect us from the Fire, O Protector, O Protector, O Protector.”
माखज़ (Source):
- “لا يَنَامُ” सूरह अल-बक़रह (2:255) से मिलता है, जहाँ अल्लाह के बारे में कहा गया, “نَسْبَةٌ وَلَا نَوْمٌ” (न उसे ऊँघ आती है न नींद)।
- “اللَّهُمَّ أَجِرْنَا مِنَ النَّارِ” सुनन इब्ने माजा (हदीस 1752) में वित्र नमाज़ के बाद की दुआ से है, तरावीह के लिए खास नहीं।
- बाकी हिस्सा कुरआन और हदीस की तारीफ़ों से जोड़ा गया है, मगर तरावीह के लिए हदीस में नहीं मिलता।
3. तीसरी दुआ (और लंबी)
अरबी में दुआ:
سُبْحَانَ ذِي الْمُلْكِ وَالْمَلَكُوتِ سُبْحَانَ ذِي الْعِزَّةِ وَالْعَظَمَةِ وَالْهَيْبَةِ وَالْقُدْرَةِ وَالْكِبْرِيَاءِ وَالْجَبَرُوتِ سُبْحَانَ الْمَلِكِ الْحَيِّ الَّذِي لَا يَنَامُ وَلَا يَمُوتُ سُبُّوحٌ قُدُّوسٌ رَبُّنَا وَرَبُّ الْمَلَائِكَةِ وَالرُّوحِ اللَّهُمَّ أَجِرْنَا مِنَ النَّارِ يَا مُجِيرُ يَا مُجِيرُ يَا مُجِيرُ بِرَحْمَتِكَ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ
हिंदी में लिखावट:
सुभान ज़िल मुल्कि वल मलकूत, सुभान ज़िल इज़्ज़ति वल अज़मति वल हैबति वल कुदरति वल किबरियाई वल जबरूत, सुभानल मलिकिल हय्यिल लज़ी ला यनामु वला यमूत, सुब्बूहुन कुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइका वर रूह, अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन नार, या मुजीरु या मुजीरु या मुजीर, बि रहमतिका या अरहमर्राहिमीन
हिंदी में मतलब:
“पाक है वह जिसके पास बादशाहत और सारी कायनात है। पाक है वह जो इज़्ज़त, बड़ाई, रौब, ताक़त, बुलंदी और बड़ी शान वाला है। पाक है वह बादशाह जो ज़िंदा है, न सोता है न मरता है। वह बेहद पाक और पवित्र है, हमारा रब और फरिश्तों व रूह का रब है। ऐ अल्लाह! हमें जहन्नम की आग से बचाओ, ऐ पनाह देने वाले, ऐ पनाह देने वाले, ऐ पनाह देने वाले, तेरी रहमत से, ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले।”
English Transliteration:
Subhana zil mulki wal malakoot, subhana zil izzati wal azmati wal haibati wal qudrati wal kibriyaai wal jabaroot, subhanal malikil hayyil lazi la yanaamu wala yamoot, subboohun quddoosun rabbuna wa rabbul malaikati war rooh, Allahumma ajirna minan naar, ya mujiro ya mujiro ya mujeer, bi rahmatika ya arhamarrahimeen
English Translation:
“Glory be to the One who possesses dominion and the kingdom. Glory be to the One of might, greatness, awe, power, pride, and supremacy. Glory be to the Living King who neither sleeps nor dies. Most Glorious, Most Holy, our Lord and the Lord of the angels and the spirit. O Allah, protect us from the Fire, O Protector, O Protector, O Protector, by Your mercy, O Most Merciful of the merciful.”
माखज़ (Source):
- “بِرَحْمَتِكَ يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ” सूरह अल-अ’राफ (7:151) से मिलता है, जहाँ हज़रत मूसा (अ.स.) ने दुआ की।
- बाकी हिस्सा ऊपर की दुआओं की तरह कुरआन और हदीस से जोड़ा गया है, मगर तरावीह के लिए खास हदीस में नहीं है।
तरावीह की दुआ की सच्चाई
तरावीह की नमाज़ सुन्नत है। सही बुखारी (हदीस 1129) और सही मुस्लिम (हदीस 761) में हज़रत आयशा (र.अ.) से रिवायत है कि नबी (स.अ.व.) ने तीन रातों तक जमात में तरावीह पढ़ाई, मगर बाद में छोड़ दिया, ताकि यह फर्ज़ न बन जाए। इसके बाद कोई खास दुआ का ज़िक्र नहीं। सही बुखारी (हदीस 37) में है: “जो शख्स रमज़ान की रातों में ईमान और सवाब की उम्मीद से नमाज़ पढ़े, उसके पिछले गुनाह माफ़ हो जाते हैं।” यह तरावीह की फज़ीलत बताता है, मगर दुआ का नहीं। उलमा कहते हैं कि नमाज़ के बाद अल्लाह का ज़िक्र करना, जैसे “सुभानल्लाह” या कोई दुआ, अच्छा है। ऊपर दी गई दुआएँ परंपरा से आई हैं, न कि सीधे हदीस से। आप इनमें से कोई भी पढ़ सकते हैं, या अपनी ज़बान में दुआ माँग सकते हैं—अल्लाह दिल की नीयत देखता है।
तरावीह की दुआ कब और कैसे पढ़ें?
तरावीह की दुआ को नमाज़ खत्म होने के बाद पढ़ा जाता है। कुछ लोग हर चार रकअत के बाद पढ़ते हैं, तो कुछ पूरी 20 रकअत के बाद। इसे इमाम के साथ या अकेले पढ़ सकते हैं। तरावीह इशा के बाद होती है। इसे खामोशी में और शिद्दत से पढ़ें। इसके बाद अपनी ज़रूरतों के लिए भी दुआ माँगें, क्योंकि रमज़ान की रातें खास होती हैं। सूरह ग़ाफिर (40:60) में अल्लाह फरमाता है: “मुझ से दुआ करो, मैं कबूल करूँगा।”
तरावीह की दुआ के फायदे
- अल्लाह की तारीफ़: ये दुआएँ अल्लाह की शान बयान करती हैं।
- सवाब: रमज़ान में इबादत का सवाब बढ़ता है।
- पनाह: कुछ दुआएँ जहन्नम से बचने की माँग करती हैं।
- सुकून: यह दिल को राहत देती है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
1. क्या तरावीह की दुआ हदीस से साबित है?
नहीं, कोई एक खास दुआ तरावीह के लिए हदीस में नहीं। ये परंपरा से पढ़ी जाती हैं।
2. तरावीह की दुआ कब पढ़ें?
चार रकअत के बाद या पूरी नमाज़ के बाद—दोनों ठीक हैं।
3. कौन सी दुआ सबसे सही है?
कोई एक “सही” नहीं। ये सब जायज़ हैं, आप जो चाहें पढ़ें।
4. अगर दुआ याद न हो तो क्या करें?
“सुभानल्लाह” कहें या अपनी ज़बान में दुआ करें।
आखिरी बात
“तरावीह की दुआ” के लिए कोई तय शक्ल नहीं। ऊपर दी गई दुआएँ मशहूर हैं, और आप इनमें से कोई भी पढ़ सकते हैं। यह अल्लाह की तारीफ़ और दुआ का तरीका है। रमज़ान की रातों को तरावीह और दुआ से सजाएँ। और दुआओं के लिए Dua India पर जाएँ। अल्लाह हमारी इबादत कबूल करे, आमीन!
Sources
- Quran: Surah Al-Baqarah (2:255), Surah Al-Furqan (25:58), Surah Al-A’raf (7:151), Surah Ghafir (40:60).
- Hadith: Sahih Bukhari (37, 1129), Sahih Muslim (761, 1016), Sunan Ibn Majah (1752).
- Scholarly Insight: IslamQA.info, books like “Al-Sunan Al-Kubra” by Al-Bayhaqi.